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बबासीर का शर्तिया इलाज़

बवासीर में मल द्वार(गूदा) के अन्दर और बाहर की नसे फूल जाती है और उस स्थान की त्वचा कठोर और संकुचित होकर उस पर मटर के बराबर मस्से बन जाते है। ये मस्से मल द्वार के अन्दर या बाहर या दोनों ओर हो सकते है। बवासीर दो प्रकार की होती है। बादी बवासीर- इसमें मस्सा निकलता है, संधिस्थलों तथा जाँघों में दर्द बना रहता है  और दुर्गन्धित वायु निकलता है परन्तु रक्‍त नही गिरता है। खूनी बवासीर- इसमें अन्य लक्षणों के साथ साथ रक्‍त भी गिरता है। यह रक्त मूत्र त्याग करने और मल त्याग करने के समय, कठोर स्थान पर बैठने या उत्तेजना की स्थिति में भी रिसता रहता है। यह रोग कब्ज, मसालों के अधिक सेवन से हो जाता है। उपचार: कच्चे गूलर के फलों की सब्जी कुछ दिनों तक नियमित खाते रहने से खूनी बवासीर में लाभ होता है। मेथी का काढ़ा बना कर पीने से या मेथी को दूध में औटा कर पीने अर्श रोग में लाभ होता है। बेल के रस का सेवन करने या बेल का गूदा 50 ग्राम लेकले 200 ग्राम चावल की मांड में चीनी या शहद के साथ मिलाकर शर्बत तैयार करके पीते रहने से खूनी बवासीर ठीक हो जाता है।    10 ग्राम देशी घी में पिसे तिलों का चूर्ण सममात्र

ये चाय पिए और तेजी से वजन घटायें

 दिन की शुरुआत चाय पीकर करते हैं। कई लोग ग्रीन टी पीना पसंद करते हैं तो कुछ ब्लैक टी लेकिन क्या आपने कभी गुड़हल के फूलों की चाय पी हैं। अगर नहीं तो एक बार जरूर ट्राई करें। गुड़हल की चाय पीने से कई फायदे होते है। इससे सेहत संबंधित कई परेशानियां दूर होती है। आज हम आपको गुड़हल की चाय पीने के फायदे बताएंगे। कैसे बनाएं चाय  सबसे पहले इसके फूलों को साफ पानी से धो लें। फिर पानी में उबालें। इसमें एक छोटा-सा दालचीनी का टुकड़ा डालें। कुछ देर बाद छान लें। इसमें थोड़ा-सा शहद और नींबू का रस मिलाकर पीएं। चाय पीने के फायदे – वजन करें कम आजकल अधिकतर लोग मोटापे से परेशान है। लोग वजन कम करने के लिए कई तरीके अपनाते हैं। अगर आप वजन कंट्रोल में करना चाहते हैं तो गुड़हल की चाय पीएं। इसमें मौजूद एंटी-ऑक्सीडेंट गुण वजन को कम करने में मदद करते है। – दिल के लिए फायदेमंद गुड़हल की चाय पीने से दिल संबंधित बीमारियां नहीं होती। इसके अलावा कोलेस्ट्रोल लेवल कंट्रोल में रहता है। – ब्लड प्रेशर  रोजाना एक कप गुड़हल की चाय पीने से ब्लड प्रेशर कंट्रोल में रहता है।

गर्भ अवस्था में तिल का सेवन होता है फायदेमंद

तिल में अत्यधिक मात्रा में पौष्टिक तत्व पाए जाते है। गर्भावस्था में लड़कियों में सामान्यतः पौष्टिक तत्वों की वजह से बहुत कमजोरी आने लगती है। ऐसा माना जाता है कि गर्भावस्‍था में तिल का सेवन मां और होने वाले बच्‍चे दोनों के लिए बहुत हानिकारक हो सकता है। वैसे अभी तक इस बात को पूरी तरह साबित नहीं किया जा सका है. अगर संतुलित मात्रा में इसका सेवन किया जाए तो यह मां और बच्चे दोनों के लिए अत्यंत लाभकारी होता है। तिल में पोषक तत्‍व बहुत ही भरपूर मात्रा में होते हैं जो इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाकर इसे इंफेक्शन से बचाते हैं। अधिकतर महिलाओं को गर्भावस्‍था के दौरान कैल्शियम की बहुत कमी हो जाती हैं और तिल कैल्शियम का बहुत ही अच्छा स्त्रोत है। और यह कैल्शियम की कमी को पूरी तरह दूर करता है। तिल के बीज सबसे अच्छे प्राकृतिक शक्ति बूस्टर में से एक हैं। यह मांसपेशियों और तंत्रिकाओं को पूरी तरह मजबूत बनाने और शरीर को फिट में बहुत मदद करते हैं।

देशी वियाग्रा है तरबूज

 तरबूज मात्र एक स्वादिष्ट एवं पानी से भरपूर त्वरित उर्जा देने वाला फल ही नहीं होता है बल्कि यह गुणों से भरपूर भी है। और अब एक भारतीय अमरीकी वैज्ञानिक ने दावा किया है कि तरबूज वायग्रा के जैसा असर भी करता है। इस मौसम में हमें वही फल ज्यादा खाने चाहिए जो शरीर में पानी की आपूर्ति भी करते रहें । तरबूज रक्तचाप को संतुलित रखता है और कई बीमारियाँ दूर करता है । इसमें एंटीऑक्‍सीडेंट भी होता है और यही नहीं रिसर्च के अनुसार तरबूज पेट के कैंसर, हृदय रोग और मधुमेह से बचाता है। तरबूज में 92% पानी और 6% शक्‍कर होती है, यह विटामिन ए, सी और बी6 का सबसे बड़ा स्‍त्रोत है। इसमें बीटा कैरोटीन होता है जो कि हृदय रोग के रिस्‍क को कम कर के सेल रिपेयर करता है। आइये और जानते हैं इस स्‍वादिष्‍ट मीठे फल के बारे में नपुंसकता से ग्रस्त लोगों के लिए एक अच्‍छी खबर। अगर आपको वियाग्रा की गोली खाने में असुविधा होती है, तो रोज तरबूज का सेवन करें। तरबूज में ऐसे तत्‍व पाये जाते हैं जो आपकी सेक्‍स पावर को बढ़ा सकता है। रिसर्च के मुताबिक, तरबूज का जूस सेक्स की इच्छा को जगाने वाले हॉर्मोन टेस्टास्टेरॉन की मात्रा को बढ़ाता