शराब से आधे कीमत में मिलता है नशा नई पीढ़ी हो रही शिकार बचे ?

शहर के मेडिकल स्टोर्स में मिलने वाले कफ सिरप का उपयोग युवा नशे के रूप मेंं कर रहे हैं। कीमत कम होने और आसानी से मिलने के कारण इसकी बिक्री भी काफी बढ़ गई है। यह कफ सीरप सेवन करने के बाद एक बोतल शराब का नशा होता है।शायद यही कारण है कि युवा इसे नशे के रूप में अच्छा विकल्प मान रहे हैं। इसके बाद भी संबंधित विभाग कार्रवाई करने के लिए कोई दिलचस्पी नहीं दिखा रहा है।
जिले मेंं करीब 300 से अधिक मेडिकल दुकानेंं संचालित हो रही है, इनमेंं से करीब 270 मेडिकल संचालकोंं ने अपने दुकान का पंजीयन कराया है। सूत्रों की मानें तो एक कफ सीरप 40 से 80 रुपए तक मिल जाता है। सस्ता होने के कारण 14 साल के बच्चे से लेकर युवा वर्ग इसे नशे के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं, जिसमें कोरेक्स और चोको कफ सीरप की डिमांड ज्यादा है।पिछले दिनोंं एसपी रजनेश सिंह ने बोनफिक्स समेत कफ सीरप का नशा करने वाले युवाओं पर लगाम कसने के लिए जिले के पुलिस कर्मचारियोंं को सख्त हिदायत भी दिया था। शुरूआत मेंं इनके खिलाफ कार्रवाई भी की गई, लेकिन फिर से युवा नशा पान के लिए इसका इस्तेमाल कर रहे हैं।
ड्रग इंस्पेक्टर, सुमीत देवांगन का कहना हैं- हर माह दवाई दुकानों की जांच पड़ताल किया जाता है। संदेहास्पद मामलों में लगातार कार्रवाई की जा रही है।
यह है कारण
राज्य सरकार ने शराब दुकानों को जब से अपने अधीन मेंं लिया है, तब से शराब की कीमत भी बढ़ गई है। शायद यही कारण है कि कफ सीरप सस्ते मेंं मिलने के कारण युवा इसे नशा के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं। बचो से लेकर बड़ो तक सब इसके शिकार में आ गये हैं|
क्या है नियम
शासन के नियमानुसार डाक्टर के प्रिसक्रिप्शन के बिना मेडिकल संचालकों को किसी भी व्यक्ति को दवाई नहीं देना है, लेकिन इसका पालन नहीं किया जा रहा है। इसके बाद भी अधिकारी मौन साधे हुए हैं।

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