भोलेनाथ की रहस्यमयी गुफा आती है डमरू की आवाज
हमारे देश की बात की जाए। तो हमारे देश में कई रहस्य छुपे हुए हैं। देश में कई ऐसे भी मंदिर मौजूद हैं। जोकि अपने आप में ही एक रहस्य हैं। दरअसल आज हम आपको एक ऐसे ही मंदिर के बारे में बताने वाले हैं। जिस मंदिर का राज आज तक कोई भी पता नहीं कर पाया है। भगवान शिव का यह मंदिर हिमाचल प्रदेश के सोलन जिले से करीब 7 किलोमीटर की दूरी पर पट्टाघाट के पास मौजूद है। और आपको बता दें कि इस देवभूमि मैं पहाड़ों के बीचो-बीच एक ऐसी रहस्यमई गुफा भी मौजूद हैं। इस गुफा में अगर आप शिला को थप थप आएंगे। तो आपको भगवान शिव के डमरू के बजने की आवाज आएगी।
इस गुफा में इससे भी ज्यादा रहस्य में है। यहां पर बना हुआ शिवलिंग। यह गुफा पहाड़ों के बीचो-बीच बनी हुई है। जिसकी वजह से इसके बारे में ज्यादातर लोगों को नहीं पता है। इसी वजह से इस जगह को शिवढांक के नाम से भी जाना जाता है। अगर कोई इस गुफा तक जाना चाहता है। तो उसे दुर्गम रास्ते से गुजरना होता है।
आपकी जानकारी के लिए आपको बता दें कि इस गुफा के अंदर बने हुए शिवलिंग के ऊपर लगातार सफेद रंग का पानी गिरता रहता है। और इस सब में सबसे ज्यादा चौंकाने वाली बात यह है। कि सफेद रंग का यह पानी गुफा के भीतर ही छत से चार थन धारी पत्थरों से गिरता रहता है। इन चार थन धारी पत्थरों में से दो टूट चुके हैं। लेकिन बाकी बचे हुए दो से लगातार पानी शिवलिंग पर गिरता रहता है।
वही जब आप इस गुफा में प्रवेश करेंगे। तो एक विशाल शिला बनी हुई है। जिसे जब आप थापथपाएँगे। तो पूरी गुफा के अंदर भगवान शिव के डमरू के बजने की आवाज गूंजने लगती है। वही मंदिर के पुजारियों का कहना है। कि यह शिवलिंग कई सदियों से यहां पर ऐसी ही हालत में हैं। इस शिवलिंग पर खुद पर खुद पानी गिरता रहता है।
इस गुफा को लेकर कहा यह भी जाता है। कि भगवान शिव ने कभी इस गुफा में आकर घोर तपस्या की थी। और इसके बाद भगवान शिव इसी गुफा में इस शिवलिंग के रुप में स्थापित हो गए। मंदिर को लेकर लोगों में काफी आस्था भी है। हर साल यहां पर कई हजार लोग भगवान शिव के दर्शन करने के लिए आते हैं। और वहीं शिवरात्रि के मौके पर इस मंदिर में भव्य आयोजन होता है। वही यहां के स्थानीय लोगों का कहना यह है। कि अगर यहां पर कोई मनोकामना लेकर आता है। तो उसकी मनोकामनाएं जरूर पूरी हो जाती हैं।
इस गुफा में इससे भी ज्यादा रहस्य में है। यहां पर बना हुआ शिवलिंग। यह गुफा पहाड़ों के बीचो-बीच बनी हुई है। जिसकी वजह से इसके बारे में ज्यादातर लोगों को नहीं पता है। इसी वजह से इस जगह को शिवढांक के नाम से भी जाना जाता है। अगर कोई इस गुफा तक जाना चाहता है। तो उसे दुर्गम रास्ते से गुजरना होता है।
आपकी जानकारी के लिए आपको बता दें कि इस गुफा के अंदर बने हुए शिवलिंग के ऊपर लगातार सफेद रंग का पानी गिरता रहता है। और इस सब में सबसे ज्यादा चौंकाने वाली बात यह है। कि सफेद रंग का यह पानी गुफा के भीतर ही छत से चार थन धारी पत्थरों से गिरता रहता है। इन चार थन धारी पत्थरों में से दो टूट चुके हैं। लेकिन बाकी बचे हुए दो से लगातार पानी शिवलिंग पर गिरता रहता है।
वही जब आप इस गुफा में प्रवेश करेंगे। तो एक विशाल शिला बनी हुई है। जिसे जब आप थापथपाएँगे। तो पूरी गुफा के अंदर भगवान शिव के डमरू के बजने की आवाज गूंजने लगती है। वही मंदिर के पुजारियों का कहना है। कि यह शिवलिंग कई सदियों से यहां पर ऐसी ही हालत में हैं। इस शिवलिंग पर खुद पर खुद पानी गिरता रहता है।
इस गुफा को लेकर कहा यह भी जाता है। कि भगवान शिव ने कभी इस गुफा में आकर घोर तपस्या की थी। और इसके बाद भगवान शिव इसी गुफा में इस शिवलिंग के रुप में स्थापित हो गए। मंदिर को लेकर लोगों में काफी आस्था भी है। हर साल यहां पर कई हजार लोग भगवान शिव के दर्शन करने के लिए आते हैं। और वहीं शिवरात्रि के मौके पर इस मंदिर में भव्य आयोजन होता है। वही यहां के स्थानीय लोगों का कहना यह है। कि अगर यहां पर कोई मनोकामना लेकर आता है। तो उसकी मनोकामनाएं जरूर पूरी हो जाती हैं।
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