भारत के इन राज्यों में लड़की पैदा होती है तो खुसी मनाई जाती है । जाने आप भी
भारत में कई ऐसे राज्य हैं जहाँ बेटियों को बचाने की मुहीम Save Daughters चलायी जाती है जबकि कई ऐसे भी हैं जहाँ बेटियों के जन्म पर खुशियां मनाई जाती है। आज लोगों को विशेष अवसरों पर कन्याएं ढूंढनी पड़ती हैं। हम आपको कुछ ऐसे जिलों के बारे में बताते हैं जहा कन्या का जन्म खुशियों के तौर पर देखी जाती हैं।
अगर हम बात सरकारी आंकड़ों की करें तो भारत में बेटियों के घटते ग्राफ बहुत ही चिंता का विषय है।
ऐसे में कुछ इलाकों में बहू बनाने के लिए आसानी से बेटियां नहीं मिलती हैं। ऐसे में बेटियों को बोझ समझने वाले लोग वक्त रहते जागरुक हो जाएं तो बेहतर होगा।
ऐसे में कुछ इलाकों में बहू बनाने के लिए आसानी से बेटियां नहीं मिलती हैं। ऐसे में बेटियों को बोझ समझने वाले लोग वक्त रहते जागरुक हो जाएं तो बेहतर होगा।
भारत में अब कुछ ऐसे राज्य/जिले हैं जहा बेटियों को बोझ समझा जाता है वहीं कुछ जिले ऐसे भी हैं जहां लोग बेटियों को अपनी शान मानते हैं, उनके पैदा होने पर जश्न मनाते हैं। साल 2011 की जनगणना के आंकड़ों के हिसाब से कुछ जिलों में बेटियों का अनुपात बेटों की तुलना में अच्छा है। चाइल्ड सेक्स रेशियो की रिपोर्ट में इन जिलों में 1000 लड़कों पर लड़कियों का एक बेहतर अनुपात देखने को मिला है।
- हिमाचल प्रदेश के लाहौल स्पीति जिले में 1000 लड़कों पर 1013 लड़कियां हैं।
- अरुणाचल प्रदेश के तवांग जिले में 1005 लड़कियां हैं।
- छत्तीसगढ़ के दक्षिण दंतेवाड़ा में 1005, लड़कियां हैं।
- असम के कामरूप मेट्रोपोलिटन जिले में 994, लड़कियां हैं।
- छत्तीसगढ़ के बस्तर में 991, लड़कियां हैं।
- ओडिशा के नबरंगपुर में 988, लड़कियां हैं।
- मिजोरम के कोलासिब जिले में 1000 लड़कों पर 987 लड़कियां हैं।
- बिहार के नवादा जिले में 985, लड़कियां हैं।
- अरुणाचल प्रदेश के ईस्ट सियांग में 984 लड़कियां हैं।
- मिजोरम के ऐजावल में भी 1000 लड़कों पर 984 लड़कियों का ग्राफ है।
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