क्यो बच्चा पैदा कराने पड़ते है सिजेरियन डिलिबारी से जानें?
प्रेग्नेंसी के दौरान हर महिला यह चाहती है कि उसकी डिलीवरी सामान्य हो। लेकिन कई बार मां या बच्चे की सेहत को खतरा देखकर ऑपरेशन करना पड़ता है।
प्रेग्नेंसी के दौरान हर महिला यह चाहती है कि उसकी डिलीवरी सामान्य हो। लेकिन कई बार मां या बच्चे की सेहत को खतरा देखकर ऑपरेशन करना पड़ता है। तो आइए जानते है सिजेरियन डिलीवरी के बारे में
यह है प्रक्रिया
इस प्रक्रिया में पेट पर चीरा लगाकर बच्चे को गर्भाशय से बाहर निकाला जाता है। सामान्य प्रसव में महिला को 24 घंटे में अस्पताल से छुट्टी दे दी जाती है लेकिन सिजेरियन में कम से कम 5 दिन अस्पताल में रहना पड़ता है।
जरूरी इसलिए
गर्भवती महिला का ब्लड प्रेशर बढऩे या दौरा पडऩे की स्थिति में सिजेरियन ऑपरेशन किया जाता है वर्ना दिमाग की नसें फट सकती हैं और लिवर व किडनी खराब हो सकती है।
गर्भवती महिला का ब्लड प्रेशर बढऩे या दौरा पडऩे की स्थिति में सिजेरियन ऑपरेशन किया जाता है वर्ना दिमाग की नसें फट सकती हैं और लिवर व किडनी खराब हो सकती है।
छोटे कद वाली महिलाओं की कूल्हे की हड्डी छोटी होने के कारण बच्चा सामान्य तरीके से नहीं हो पाता।
कई बार दवाओं से बच्चेदानी का मुंह नहीं खुल पाता, ऐसे में सर्जरी करनी पड़ती है। ज्यादा खून बहने पर भी सिजेरियन ऑपरेशन किया जाता है। बच्चे की धडक़न कम होने या गले में गर्भनाल लिपटी होने, बच्चे का आड़ा या उल्टा होना, कमजोरी या खून का दौरा कम होने पर भी ऑपरेशन होता है।
बच्चा जब पेट में ही गंदा पानी (मल, मूत्र) छोड़ देता है जिसे मिकोनियम कहते हैं, इस स्थिति में तुरंत ऑपरेशन कर बच्चे की जान बचाई जाती है।
भ्रम और चिकित्सकीय तर्क
ज्यादा घी व चिकनाई खाने से सर्जरी का खतरा नहीं रहता?
इसका सर्जरी से कोई संबंध नहीं है। लेकिन ज्यादा तला-भुना खाने से महिला के शरीर को नुकसान हो सकता है।
पहला बच्चा सिजेरियन हो तो दूसरा सामान्य नहीं होता?
ऐसे में सिजेरियन की संभावना बढ़ जाती है क्योंकि दूसरी बार प्रसव पीड़ा के दौरान टांके फटने का डर रहता है।
सिजेरियन से मां व बच्चे के बीच का लगाव कम होता है?
मां व बच्चे पर इसका कोई असर नहीं पड़ता है। सर्जरी के फौरन बाद बच्चे को मां के पास रखा जाता है। वह उसे फीड करा सकती है।
ज्यादा घी व चिकनाई खाने से सर्जरी का खतरा नहीं रहता?
इसका सर्जरी से कोई संबंध नहीं है। लेकिन ज्यादा तला-भुना खाने से महिला के शरीर को नुकसान हो सकता है।
पहला बच्चा सिजेरियन हो तो दूसरा सामान्य नहीं होता?
ऐसे में सिजेरियन की संभावना बढ़ जाती है क्योंकि दूसरी बार प्रसव पीड़ा के दौरान टांके फटने का डर रहता है।
सिजेरियन से मां व बच्चे के बीच का लगाव कम होता है?
मां व बच्चे पर इसका कोई असर नहीं पड़ता है। सर्जरी के फौरन बाद बच्चे को मां के पास रखा जाता है। वह उसे फीड करा सकती है।
सर्जरी से पेट बाहर निकलने और कमर दर्द की समस्या हो जाती है?
सिजेरियन में लगे टांके ६-७ दिन में भरने लगते हैं लेकिन महिलाएं ज्यादा दर्द की वजह से चलती-फिरती नहीं है और उनका पेट बाहर आने लगता है। इससे बचने के लिए डॉक्टर एक हफ्ते के बाद ही वॉक और हल्के व्यायाम की सलाह देते हैं। कमरदर्द बच्चे को गलत पोश्चर में दूध पिलाने से हो सकता है। ऐसा होने पर डॉक्टर से संपर्क करें।
सिजेरियन में लगे टांके ६-७ दिन में भरने लगते हैं लेकिन महिलाएं ज्यादा दर्द की वजह से चलती-फिरती नहीं है और उनका पेट बाहर आने लगता है। इससे बचने के लिए डॉक्टर एक हफ्ते के बाद ही वॉक और हल्के व्यायाम की सलाह देते हैं। कमरदर्द बच्चे को गलत पोश्चर में दूध पिलाने से हो सकता है। ऐसा होने पर डॉक्टर से संपर्क करें।
ऑपरेशन से पैदा हुए बच्चे बीमार रहते हैं?
बच्चे की बीमारी का सर्जरी से कोई लेना-देना नहीं होता। यदि समस्या हो भी तो ये इस बात पर निर्भर करती है कि किन कारणों से ऑपरेशन किया गया है।
सर्जरी के दौरान ब्लड की जरूरत होती है?
ऐसे मामले जिनमें महिला को रक्तस्राव अधिक हो, उनमें ब्लड की जरूरत पड़ सकती है।
सर्जरी के बाद महिला को ६ माह तक आराम की जरूरत होती है?
ऐसा नहीं है, महिला रोजमर्रा के काम के साथ डॉक्टर द्वारा बताए गए व्यायाम भी कर सकती है।
बच्चे की बीमारी का सर्जरी से कोई लेना-देना नहीं होता। यदि समस्या हो भी तो ये इस बात पर निर्भर करती है कि किन कारणों से ऑपरेशन किया गया है।
सर्जरी के दौरान ब्लड की जरूरत होती है?
ऐसे मामले जिनमें महिला को रक्तस्राव अधिक हो, उनमें ब्लड की जरूरत पड़ सकती है।
सर्जरी के बाद महिला को ६ माह तक आराम की जरूरत होती है?
ऐसा नहीं है, महिला रोजमर्रा के काम के साथ डॉक्टर द्वारा बताए गए व्यायाम भी कर सकती है।
ऑपरेशन के टांके
इस दौरान लगाए गए टांके 6-7 दिन में भरने लगते हैं लेकिन करीब 6 महीने तक भारी वजन उठाने से बचना चाहिए। ये टांके जल्दी भरें इसके लिए मौसमी, नींबू जैसी विटामिन-सी वाली खट्टी चीजें खानी चाहिए।
कामकाज
ऑपरेशन के चार से पांच दिन बाद से महिला घर का काम कर सकती है लेकिन वजन उठाने संबंधी काम छह माह के बाद ही करें।
ऑपरेशन के चार से पांच दिन बाद से महिला घर का काम कर सकती है लेकिन वजन उठाने संबंधी काम छह माह के बाद ही करें।
नियमित दवाएं
डिलीवरी के बाद महिला को आयरन और कैल्शियम की दवाएं दी जाती हैं। इन्हें महिला को नियमित रूप से लेना चाहिए वर्ना कमरदर्द या जोड़ों की तकलीफ होने का खतरा रहता है।
डिलीवरी के बाद महिला को आयरन और कैल्शियम की दवाएं दी जाती हैं। इन्हें महिला को नियमित रूप से लेना चाहिए वर्ना कमरदर्द या जोड़ों की तकलीफ होने का खतरा रहता है।
पौष्टिक खानपान
मां बनने पर दालें, दही, टोफू, सोयाबीन, पनीर , बींस और अंकुरित अनाज जैसी प्रोटीन युक्त चीजों को डाइट में शामिल करना चाहिए।
मां बनने पर दालें, दही, टोफू, सोयाबीन, पनीर , बींस और अंकुरित अनाज जैसी प्रोटीन युक्त चीजों को डाइट में शामिल करना चाहिए।
साफ-सफाई का खयाल
आमतौर पर ऑपरेशन के बाद घर की महिलाएं प्रसूता को टांकें पकने के डर से नहाने के लिए मना कर देती हैं, जो कि गलत है इससे संक्रमण होने का खतरा बढ़ जाता है। इसलिए डॉक्टर द्वारा बताए अनुसार साफ-सफाई का ध्यान जरूर रखें।
आमतौर पर ऑपरेशन के बाद घर की महिलाएं प्रसूता को टांकें पकने के डर से नहाने के लिए मना कर देती हैं, जो कि गलत है इससे संक्रमण होने का खतरा बढ़ जाता है। इसलिए डॉक्टर द्वारा बताए अनुसार साफ-सफाई का ध्यान जरूर रखें।
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