औरतें क्यो पहनती हैं नाथुनियाँ जाने खास राज की बात।
हमारा देश एक ऐसा देश हैं जहां पर कई तरह धर्म पाए जाते हैं। हर धर्म की कुछ खास रीति-रिवाज और परम्पराए हैं, और बात जब हिन्दू धर्म की जाये तो हर काम को करने के लिए एक रिवाज होता हैं। क्या आपको पता हैं की इन रीतियों का हमारे शरीर को कितना लाभ होता हैं और इनसे हमारे दिमाग पर क्या असर पड़ता हैं। शोलह श्रृंगार हर महिला का हक होता हैं। ऐसे में स्त्रियाँ अपने नाक में नथनी भी पहनती हैं। जानिए महिलाएं नाक में नथनी क्यों पहनती हैं? इसके विज्ञानिक और धार्मिक कारण क्या हैं?
नथनी को Nose Ring कहा जाता हैं, यह प्राचीन काल से लेकर आज के समय में भी फैशन का एक अभिन्न अंग हैं। नाक में नथुनी हर धर्म की औरतें पहनती हैं। जिससे उनकी सुन्दरता में इजाफा होता हैं। हिन्दू धर्म में नाक में नथुनी पहनना विशेष महत्व रखता हैं। इसे शादीशुदा स्त्री के सौभाग्य की निशानी माना जाता हैं। यह नथनी सिर्फ आज के समय में ही नहीं अपितु प्राचीन राजा महाराजाओ के समय में भी पहनी जाती थी।
महिलाओं के नथनी पहनने के पीछे कई सारी मानताएं हैं जैसे कि इसे पहनने का चलन 16वीं शताब्दी में मुगलकालीन समय में हुआ। कहा जाता हैं की मुगल घराने की औरतें नथ पहनती थी, जिससे वह ज्यादा सुन्दर दिख सके। यह उनके श्रृंगार का महत्वपूर्ण गहना था। इसके बिना श्रृंगार अधूरा माना जाता था। आज के युग में जिस लड़की की शादी हो रही हैं उसे दुल्हन के लिवाज़ में गहनों के रूप में इसे पहनना जरूरी हो गया हैं, क्योंकि यह सुहाग की पहचान माना जाता हैं और श्रृंगार का अभिन्न अंग होता हैं।
स्त्रियों के नाक में नथनी पहनने का वैज्ञानिक कारण यह हैं की इसे पहनने का सीधा सम्बन्ध उसके गर्भाशय से जुड़ा हुआ हैं। हमारे नाक की कुछ नसे गर्भ से जुडी हुयी होती हैं, जिसके कारण प्रसव के समय कम दर्द का सामना करना पड़ता हैं। आयुर्वेद के अनुसार अगर किसी लड़की के नाक में उचित जगह पर छेदकर दिया जाये तो मासिक धर्म के समय उसे कम दर्द का सामना करना पड़ता हैं। इसलिए औरतों के हमेशा बायीं नाक को ही छेदा जाता हैं, क्योंकि इसका सम्बन्ध प्रजनन से माना जाता हैं। जिससे उसे कम दर्द होता हैं।
वैज्ञानिक कारण के अलावा रिवाज या परम्परा यह भी हैं की पति की मृत्यु के बाद महिला अपनी नथुनी उतार देती हैं। इसके अलावा यह माता पार्वती के प्रति श्रद्धा और सम्मान दर्शाने के लिए भी पहनी जाती हैं।
नथनी को Nose Ring कहा जाता हैं, यह प्राचीन काल से लेकर आज के समय में भी फैशन का एक अभिन्न अंग हैं। नाक में नथुनी हर धर्म की औरतें पहनती हैं। जिससे उनकी सुन्दरता में इजाफा होता हैं। हिन्दू धर्म में नाक में नथुनी पहनना विशेष महत्व रखता हैं। इसे शादीशुदा स्त्री के सौभाग्य की निशानी माना जाता हैं। यह नथनी सिर्फ आज के समय में ही नहीं अपितु प्राचीन राजा महाराजाओ के समय में भी पहनी जाती थी।
महिलाओं के नथनी पहनने के पीछे कई सारी मानताएं हैं जैसे कि इसे पहनने का चलन 16वीं शताब्दी में मुगलकालीन समय में हुआ। कहा जाता हैं की मुगल घराने की औरतें नथ पहनती थी, जिससे वह ज्यादा सुन्दर दिख सके। यह उनके श्रृंगार का महत्वपूर्ण गहना था। इसके बिना श्रृंगार अधूरा माना जाता था। आज के युग में जिस लड़की की शादी हो रही हैं उसे दुल्हन के लिवाज़ में गहनों के रूप में इसे पहनना जरूरी हो गया हैं, क्योंकि यह सुहाग की पहचान माना जाता हैं और श्रृंगार का अभिन्न अंग होता हैं।
स्त्रियों के नाक में नथनी पहनने का वैज्ञानिक कारण यह हैं की इसे पहनने का सीधा सम्बन्ध उसके गर्भाशय से जुड़ा हुआ हैं। हमारे नाक की कुछ नसे गर्भ से जुडी हुयी होती हैं, जिसके कारण प्रसव के समय कम दर्द का सामना करना पड़ता हैं। आयुर्वेद के अनुसार अगर किसी लड़की के नाक में उचित जगह पर छेदकर दिया जाये तो मासिक धर्म के समय उसे कम दर्द का सामना करना पड़ता हैं। इसलिए औरतों के हमेशा बायीं नाक को ही छेदा जाता हैं, क्योंकि इसका सम्बन्ध प्रजनन से माना जाता हैं। जिससे उसे कम दर्द होता हैं।
वैज्ञानिक कारण के अलावा रिवाज या परम्परा यह भी हैं की पति की मृत्यु के बाद महिला अपनी नथुनी उतार देती हैं। इसके अलावा यह माता पार्वती के प्रति श्रद्धा और सम्मान दर्शाने के लिए भी पहनी जाती हैं।
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