नपुंसकता और बाँझपन से बचना है तो करे ये

हम प्लास्टिक के संसार में जी रहे हैं, हर ओर प्लास्टिक से बने उत्पाद है. फिर चाहे वह पानी की बोतल हो टिफिन बॉक्स हो या फिर टूथब्रश. हमारे लैपटॉप मोबाइल से लेकर खाने की सामग्री सभी प्लास्टिक कंटेनर में सुरक्षित रहती है. लेकिन क्या सचमुच है. हालिया कई शोधो में इसपर मोहर लगा दी है कि प्लास्टिक न केवल प्रकृति के लिए खतरा है. बल्कि सीधे-सीधे हमारे स्वास्थ्य को भी नुकसान पहुंचा रहा है.
प्लास्टिक में इस्तेमाल होने वाला केमिकल बिस्फेनाल-ए में कई तरह की बीमारियां जैसे कैंसर, बाँझपन, नपुंसकता बीमारियां तथा डायबिटीज का कारण बन रहा है. इसके मद्देनजर अब बाजार में बीपीए फ्री उत्पाद भी मिल रहे हैं जो अपेक्षाकृत सुरक्षित है.
क्या है बीपीए के खतरे
इस केमिकल का धीमा जहर स्वास्थ्य को काफी नुकसान पहुंचा रहा है. वयस्कों में प्रजनन क्षमता की कमी. हाइपरटेंशन. गर्भ में पल रहे शिशु के मस्तिष्क पर असर. डायबिटीज कुछ खास तरह के कैंसर जैसे ब्रेस्ट कैंसर, एलर्जी, बच्चों में समय से पहले प्यूबर्टी जैसी समस्याएं हो सकती है. यह एक टिपिकल जहर की तरह व्यवहार नहीं करता, बल्कि एंडोक्राइन डिसत्रप्टर की तरह धीरे-धीरे शरीर के हारमोंस पर असर डालता है और बीमार बनाता है. यही कारण है कि ज्यादातर लोगों का इस पर ध्यान भी नहीं जाता है.
इससे बचने के लिया क्या कर सकते है
बीपीए प्रोडक्ट्स से बाज़ार भरा है इसलिए कुछ तरीकों से इसके गैर जरूरी एक्सपोजर को टाला जा सकता है. जैसे बहुत सी कंपनियां बीपीए फ्री डिब्बाबंद उत्पादों का सेवन कम करने के साथ ताजा बना खाना खाफी हद तक बीपीए की समस्या कम कर सकता है. प्लास्टिक की बोतल की जगह कांच की बोतल में पानी स्टोर किया और पिया जा सकता है ।

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